तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े आंदोलनरत किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन गैर राजनीतिक है। इससे किसी राजनीतिक पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया।
3 केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के राज्यों के किसानों का आंदोलन शनिवार को 17वें दिन पहुंच गया है। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि राजस्थान व यूपी के किसान सैकड़ों की संख्या में हाइवे को बंद करने के लिए निकल गए हैं। शनिवार रात या रविवार सुबह तक दोनों हाइवे को सील कर दिया जाएगा। उन्होंने पंजाब के हर गांव से कम से कम 10 युवाओं को दिल्ली की ओर कूच करने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर पंजाब के हर गांव से 10 युवा भी यहां आ जाएं तो प्रदर्शन में एक लाख 25 हजार युवाओं की संख्या बढ़ जाएगी।
राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर पर हजारों किसान इकट्ठा हो रहे हैं। ये सभी रविवार सुबह 10:00 बजे दिल्ली के लिए रवाना होंगे। वहीं, पंजाब के अमृतसर से 700 ट्रैक्टर-ट्रॉली में जयपुर से 300 ट्रैक्टर ट्रॉली में हजारों किसान गुरुग्राम के लिए कूच कर चुके हैं। उनका कहना है कि जहां पर किसानों को रोका जाएगा वहीं पर वह बैठ जाएंगे। इसके अलावा, पंजाब से गुरुग्राम पहुंचे किसान मेजर सिंह का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बंद कमरे में नहीं, बल्कि किसानों के बीच आकर संवाद करें।
उधर, सोनीपत में खरखौदा क्षेत्र से होकर गुजरने वाले कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे की पिपली टोल को किसानों द्वारा फ्री करवाया गया है। फिलहाल सभी वाहन बगैर टोल दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, स्थानीय किसान हुक्का लेकर टोल पर बैठे हैं।
कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शनकारी किसान ट्रेनें रोकने की चेतावनी दे चुके। इस पर रेल प्रशासन सतर्क हो गया है। पंजाब के साथ ही हरियाणा व दिल्ली-एनसीआर के साथ लगते इलाके में विशेष निगरानी रखी जा रही है।
कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर राजस्थान के किसान किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए रविवार को कूच करेंगे। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के मुताबिक, राजस्थान के किसान राशन और बिस्तर लेकर दिल्ली आएंगे। दिल्ली कूच करने की कड़ी में सभी किसान शनिवार को जयपुर जिले के कोटपुतली में जुटेंगे फिर वहीं से रविवार को जयपुर-दिल्ली राजमार्ग से दिल्ली कूच करेंगे। इसके बाद 14 दिसंबर को प्रदेश में किसान धरने-प्रदर्शन करेंगे। किसान नेता तारा सिंह सिद्धू का कहना है कि किसान घरों से राशन और बिस्तर की व्यवस्था करके निकलेंगे, जिससे हर परिस्थिति का सामना किया जा सके।
इस बीच टोल फ्री कराने की कड़ी में शनिवार को भारतीय किसान यूनियन ने गौतमबुद्धनगर में पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के सिरसा टोल को टोल फ्री करा दिया है, जिसके बाद टोल पर बिना पैसा दिए वाहन गुजर रहे हैं। इस बीच खबर आ रही है कि किसान दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे भी जाम करें और टोल नाकों को फ्री कराएंगे।
बता दें कि आंदोलनकारी किसानों ने शनिवार को दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे समेत दिल्ली के कई रास्तों को बंद करने का एलान किया है। वहीं, गौतमबुद्धनगर में कोहरा होने की वजह से भारतीय किसान भानु के कार्यकर्ताओं ने अपने कार्यक्रम में बदलाव किया है। अब 12 बजे से टोल फ्री करने का कार्यक्रम है।
दिल्ली से सटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर हजारों किसान जमा हैं। वहीं, प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा शनिवार को दिल्ली को चारों ओर से जाम करने के एलान के बीच पुलिस ने सीमा सहित दिल्ली में सतर्कता बढ़ा दी है। इसके तहत दिल्ली-यूपी-हरियाणा सीमा पर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं। वहां, पुलिस के साथ ही करीब तीन हजार अतिरिक्त सुरक्षा बल के जवानों को तैनात किया गया है। वहीं, सीमा की ओर जाने वाले रास्ते पर भी पुलिस की विशेष नजर रहेगी।
दिल्ली-यूपी और हरियाणा सीमा पर पहले से तैनात पुलिसकर्मी व जवानों के अलावा पुलिस फोर्स के साथ 80 टीमों को लगाया गया है। हर टीम का नेतृत्व वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपा गया है।
वहीं, तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े आंदोलनरत किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन गैर राजनीतिक है। इससे किसी राजनीतिक पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कानूनों को रद नहीं करती है तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उधर, कुंडली बॉर्डर पर भी किसानों का धरना जारी रहा।
यहां पर बृहस्पतिवार को प्रदर्शनकारियों की संख्या अन्य दिनों के मुकाबले ज्याद थी। हालांकि प्रदर्शन के दौरान कोई हिंसा न होने पाए, इसका किसानों ने पूरा खयाल रखा। किसानों के जत्थेदार लगातार मंच से शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील करते रहे। यहां पर सभी जत्थेदारों के नंबरों को मिलाकर कई वाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं। प्रदर्शनकारियों को कोई भी संदेश देने के लिए उसे वाट्सएप ग्रुप पर भेजा जाता है और फिर मुख्य मंच से भी नियमों के बारे में जानकारी दी जाती है। सुरक्षा और अलग-अलग जत्थों तक संदेश पहुंचाने के काम में युवाओं और बुजुर्गों को एक साथ लगाया गया है, ताकि कोई गड़बड़ी न हो।
Comentarios