उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश की शासन व्यवस्था के तीन तीनों स्तंभों में से कोई भी खुद के सर्वोच्च होने का दावा नहीं कर सकता ऐसा इसलिए क्योंकि संविधान ही सर्वोच्च है। हालांकि कुछ फैसलों से लगता है कि न्यायपालिका की दखल बढ़ी है।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि देश की शासन व्यवस्था के तीन तीनों स्तंभों में से कोई भी खुद के सर्वोच्च होने का दावा नहीं कर सकता ऐसा इसलिए क्योंकि संविधान ही सर्वोच्च है। हालांकि अदालतों के कुछ फैसलों से लगता है कि न्यायपालिका का हस्तक्षेप बढ़ा है। उपराष्ट्रपति 'विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण समन्वय एवं जीवंत लोकतंत्र' विषय पर अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 80वें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपने-अपने सीमाक्षेत्र में संविधान के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य हैं। शासन व्यवस्था का हर अंग एक दूसरों के साथ हस्तक्षेप के बिना अपना काम करते हैं जिससे परस्पर सम्मान, जिम्मेदारी और संयम की भावना का संचार होता है। उपराष्ट्रपति ने पटाखों पर अदालतों द्वारा दिए गए फैसलों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि हाल के कुछ फैसलों ने न्यायपालिका को अलग पहचान दी है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देश के सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने सुधारात्मक हस्तक्षेप करने के अलावा सामाजिक-आर्थिक मसलों पर कई दूरगामी फैसले दिए हैं। हालांकि कभी-कभी इस पर चिंता जताई जाती है कि क्या वे कार्यपालिका में दखल दे रहे हैं। इस मसले पर भी बहस हुई है कि क्या कुछ को सरकार के अन्य अंगों के लिए वैध रूप से छोड़ दिया जाना चाहिए था।
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