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बेमिसाल बच्चों की बदली जीवनशैली को अभिव्यक्त करती शॉर्ट फिल्म ‘न्यू नॉर्मल’


बीते महीनों में घर पर रहते हुए उन्होंने अलग-अलग थीम पर कई वीडियोज बनाए और उन्हें अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया। लेकिन अब उन्होंने ‘न्यू नॉर्मल’ नाम से एक शॉर्ट फिल्म बनाई है। इसमें उन्होंने एक्टिंग के साथ एडिटिंग एवं डायरेक्शन का जिम्मा भी संभाला है।


मुंबई के दस वर्षीय आरव सिन्हा कुछ क्रिएटिव करना चाहते थे। बीते महीनों में घर पर रहते हुए उन्होंने अलग-अलग थीम पर कई वीडियोज बनाए और उन्हें अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया। लेकिन अब उन्होंने ‘न्यू नॉर्मल’ नाम से एक शॉर्ट फिल्म बनाई है। इसमें उन्होंने एक्टिंग के साथ एडिटिंग एवं डायरेक्शन का जिम्मा भी संभाला है।


कुछेक महीने पहले सब सामान्य था। बच्चे सड़क पर बेफिक्र होकर साइकिल चलाते, पार्क में दोस्तों के साथ खेलते व मस्ती करते नजर आते थे। स्कूल के वार्षिक समारोहों से लेकर तमाम अन्य उत्सवों की अपनी रौनक रहती थी। लेकिन एक दिन अचानक सब बदल गया। कोविड के कारण हुए लॉकडाउन से स्कूल बंद हो गए। बच्चे घरों में बंद से हो गए। कक्षाएं ऑनलाइन होने लगीं। आउटडोर गेम्स की जगह इंडोर एवं वीडियो गेम्स ने ले ली। टेलीविजन पर आने वाले कार्टून शोज देखने में बच्चों का समय बीतने लगा। वे खिड़की पर टकटकी लगाए बाहरी दुनिया की खबर लेते। चारों ओर सिर्फ सन्नाटा सा ही पसरा था। लेकिन फिर वक्त ने एक और करवट ली। जिंदगी अनलॉक हुई और बड़ों की तरह बच्चे भी घर से बाहर निकले, लेकिन तमाम एहतियात के साथ....।

आरव की पहली शॉर्ट फिल्म ‘न्यू नॉर्मल’ की कहानी ऐसे ही बच्चों की है, जिनकी जिंदगी अब बदल चुकी है। लेकिन वह मायूस व निराश नहीं हैं, बल्कि नए सिरे से अपनी दिनचर्या को जीने की कोशिश कर रहे हैं। आखिर क्या सोचकर फिल्म बनाने का खयाल आया, इस पर आरव ने बताया, ‘दोस्तों से न मिलने व स्कूल न जाने के कारण वे एक अजीब सा अकेलापन महसूस कर रहे थे। न घर से बाहर निकलना हो रहा था और न ही कोई रिश्तेदार या दोस्त घर आ रहे थे। स्कूल की ऑनलाइन क्लासेज में वह क्लास वाली बात नहीं थी। मैंने सोचा कि यह सिर्फ मेरे साथ नहीं, दूसरे बच्चों के साथ भी हो रहा होगा। एक दिन मैंने डैडी से अपना आइडिया शेयर किया कि मुझे आम बच्चों के अनुभवों को सबके सामने लाना है।


उन्होंने शॉर्ट फिल्म बनाने की सलाह दी और इस तरह तीन-चार दिनों में यह फिल्म आज सबके सामने है। मुंबई के आरकेबी इंटरनेशनल स्कूल के पांचवीं कक्षा के छात्र आरव के पिता अभिजीत सिन्हा खुद एक अभिनेता एवं निर्देशक हैं। फिल्म मेकिंग में उन्होंने बेटे को पूरा सहयोग दिया है। आरव ने जहां एक्टिंग, एडिटिंग एवं डायरेक्शन की जिम्मेदारी संभाली, वहीं पिता ने फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी के साथ स्क्रीनप्ले की। आरव की मानें, तो फिल्म मेकिंग कर उन्हें न सिर्फ आनंद आया, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है। वे कहते हैं, ‘यह समय कठिन जरूर है, लेकिन इसने हमें काफी कुछ सिखाया व समझाया है।


हमारे पास जो चीज नहीं होती है, उसके लिए हम कितना मारामारी करते हैं। लेकिन जो हमारे पास है, उस पर ध्यान नहीं देते हैं। मुमकिन है कि जो पास है, उसमें बहुत-सी खुशियां छिपी हों। आरव बीते दो वर्षों से थियेटर वर्कशॉप से जुड़कर अपने हुनर को तराश रहे हैं। उनके पिता कहते हैं कि वे थोड़े शर्मीले एवं शांत स्वभाव के हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी में रुचि के कारण उन्हें गेमिंग, म्यूजिक वीडियोज एवं एनिमेटेड वीडियोज बनाना, उनकी एडिटिंग करना पसंद है। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने कई एनिमिटेड वीडियोज बनाए थे, जिसमें कोरोना से बचाव के उपायों, बच्चों और पैरेंट्स की बातें थीं कि कैसे वे सभी अपने तनाव को दूर कर सकते हैं।


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