रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार के जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर दिए गए बैक टू बैक लोन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने एक स्वर में इसे अमान्य ठहराया है। उन्होंने डीवीसी बकाया के मद में राज्य सरकार के आरबीआइ खाते से 1417 करोड़ काटे जाने पर सख्त आपत्ति जताई है। सीएम ने कहा कि वे इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करेंगे और पत्र लिखकर भी अपना पक्ष रखेंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि गुरुवार की देर रात जीएसटी क्षतिपूर्ति के नए निर्देश पर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला
सीतारमण से टेलीफोन पर बातचीत हुई। उन्होंने स्पष्ट कहा कि एक तरफ 1417 करोड़ रुपये काटा जा रहा है तो दूसरी ओर बैक टू बैक लोन के प्रावधान का विकल्प जीएसटी क्षतिपूर्ति के एवज में वित्त मंत्रालय द्वारा दिया जा रहा है। हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य और लोगों के हित में सरकार जल्द ही निर्णय करेगी। राज्य फिलहाल कोरोना महामारी के संकट में कई चुनौतियों के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ महामारी से बचाव और उससे पैदा हुई चुनौतियां हैं तो दूसरी तरफ कई मदों में केंद्र सरकार पर भारी-भरकम बकाया है। केंद्रीय उर्जा मंत्रालय द्वारा 1417 करोड़ रुपये राज्य सरकार के आरबीआइ से काटने का एकतरफा फैसला भी इसमें एक है।
झारखंड ने कभी कोयला, पानी रोकने की बात नहीं की : हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के खनिज संसाधनों से पूरे देश के उद्योग चलते हैं। केंद्रीय उपक्रमों के पास झारखंड की कोयला रायल्टी मद में भारी-भरकम बकाया है। हमने कभी कोयला नहीं रोका। डीवीसी झारखंड के पानी का इस्तेमाल करता है, उसे नहीं रोका। हेमंत ने याद दिलाया कि राज्य पाने के लिए यहां के लोगों ने कभी आर्थिक नाकेबंदी की थी। कहीं ऐसा नहीं हो कि केंद्र के सौतेले व्यवहार पर लोगों का रोष फिर सामने आए।
पूर्व में हमारी सरकार ने डीवीसी का बकाया शून्य किया था। पिछले पांच साल में रघुवर दास की सरकार ने
डीवीसी के बकाया पैसे नहीं चुकाया और त्रिपक्षीय समझौता कर लिया। डीवीसी ने 5600 करोड़ का जो बकाया दिखाया है, वह पूर्ववर्ती सरकार का है। सवाल उठाया कि पहले क्यों नहीं राज्य सरकार के खाते से पैसे निकाले गए। कई राज्यों के पास डीवीसी का बकाया है, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि झारखंड के आरबीआइ खाते से पैसे निकाल लिए गए।
केंद्र ने की है गलत शुरूआत : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के आरबीआइ खाते से पैसे काटकर केंद्र सरकार ने गलत शुरुआत की है। ऐसा चलता रहा तो केंद्र व राज्य के संबंधों में खटास पैदा होगी। यह गैर
भाजपा शासित राज्यों को परेशान करने और नीचा दिखाने वाला काम है। यह छोटी बात नहीं है। एक तरफ वित्त मंत्री पत्र लिखकर लोन लेने पर गौर फरमाने को कहती हैं तो दूसरी तरफ खाते से पैसे निकाल लिए जाते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
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