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लापरवाह नेताओं पर हाईकोर्ट सख्त: कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते, भीड़ जुटाने वाले नेता-दल और उन्हे

कोर्ट ने माना- चुनावी रैलियों में गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया मास्क न लगाने पर इंदौर में 41 हजार लोगों पर 52 लाख का जुर्माना,

डिस्टेंसिंग तोड़ने पर 4 हजार का चालान, नेताओं पर सिर्फ 5 केस कोरोना संक्रमण बेकाबू है और 28 सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों को लेकर राजनीतिक दल धड़ाधड़ रैलियां कर रहे हैं। इनमें भीड़ जुट रही है और कोरोना की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ रही हैं। मंगलवार को मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने इसे गंभीरता से लेते हुए ग्वालियर और दतिया एसपी को आदेश दिया कि भीड़ जुटाने वाले नेता, राजनीतिक दलों और उन्हें न रोक पाने वाले अफसरों पर भी एफआईआर दर्ज करें। जस्टिस शील नागू व जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने आदेश में कहा कि स्पष्ट तौर पर कोविड गाइडलाइन का उल्लंंघन हो रहा है। याचिकाकर्ता व न्याय मित्रों ने जो रिपोर्ट पेश की है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि आईपीसी व आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत संज्ञेय अपराध किया गया है। याचिकाकर्ता आशीष प्रताप सिंह ने कोर्ट में बताया है कि कोरोना काल में राजनीतिक आयोजनों में भीड़ जुट रही है। इस पर तत्काल रोक लगे। भीड़ जुटाने वाले नेताओं के साथ अतिरिक्त महाधिवक्ता का तर्क किया खारिज:इस मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी द्वारा तर्क दिया गया कि कोविड-19 की गाइडलाइन के उल्लंघन के संबंध में याचिकाकर्ता व अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी की पुष्टि कराई जा रही है। पुष्टि होते ही कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने उनके तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने ललिता कुमारी के प्रकरण में पुलिस को संज्ञेय अपराध की सूचना मिलते ही दोषी के खिलाफ अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज करने के लिए निर्देशित किया गया है। सूचना की सच्चाई व प्रमाणिकता का पता लगाने का काम जांच के दौरान भी किया जा सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब: राजनीतिक कार्यक्रमों में 100 लोगों के भाग लेने के प्रतिबंध को हटा लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आठ अक्टूबर को कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए कार्यक्रम में 100 से ज्यादा लोगों को शामिल होने की अनुमति प्रदान की है। इसी के आधार पर राज्य शासन ने भी नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता द्वारा गृह मंत्रालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस पर कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है।

ग्वालियर-दतिया के वे सियासी कार्यक्रम, जिनमें भीड़ जुटी

तारीख किसकी सभा या कार्यक्रम कितने लोग

3 अक्टूबर- ग्वालियर में भाजपा प्रत्याशी मुन्ना लाल गोयल की सभा

4 अक्टूबर – कांग्रेस प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह तोमर की चुनावी सभा

4 अक्टूबर – वार्ड 19 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह तोमर की

5 अक्टूबर – मुन्ना लाल गोयल के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन

5 अक्टूबर – कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया की भांडेर में सभा

6 अक्टूबर – ग्वालियर वार्ड-1 में कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा की सभा (याचिकाकर्ता ने इन रैलियों का उल्लेख कोर्ट के समक्ष किया) नाथ पर एफआईआर दर्ज करने वाले दतिया कलेक्टर को हटाया

भोपाल. भांडेर में 5 अक्टूबर को हुई चुनावी रैली में जुटी भीड़ को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर एफआईआर दर्ज करने वाले दतिया कलेक्टर संजय कुमार को पद से हटा दिया गया है। उन्हें मंत्रालय में उपसचिव बनाया गया है। जबकि उनकी जगह औद्याेगिक नीति एवं संवर्धन विभाग में उप सचिव बी. विजय दत्ता को दतिया कलेक्टर बनाया गया है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को इसके आदेश जारी कर दिए। माना जा रहा है कि आयोग ने यह कदम कांग्रेस द्वारा संजय पर लगाए गए पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के आरोपों के बाद उठाया है। कांग्रेस सांसद व सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने केंद्रीय चुनाव आयोग में इसकी शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा नेताओं की ग्वालियर-दतिया में हुई सभाओं में भी भीड़ जुटी, लेकिन उनके नेताओं पर केस दर्ज नहीं किया गया। गाइडलाइन नहीं मानने वालों पर दर्ज करा रहे केस, उपचुनाव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का किसी ने भी उल्लंघन किया है तो हम ऐसे लोगों व राजनीतिक दलों के खिलाफ एफआईआर भी कराएंगे। अभी ऐसी कुछ एफआईआर दर्ज की गई हैं। ये सख्त निर्देश हैं कि किसी भी रैली व सभा में गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

वीरा राणा, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मप्र

इंदौर हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया नोटिस

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने चुनाव आयोग को नोटिस दिया है। इसमें पूछा है कि बीते दिनों सांवेर में हुई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा में भीड़ जुटाने के लिए 600 बसें किस आधार पर अधिग्रहित की गईं। हाईकोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग, मुख्य सचिव सहित 8 को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता जयेश गुरनानी ने मांग की है कि कोरोना काल में भी बसों में लोग पास-पास बैठे रहे। सरकारी विभागों ने बस के लिए डीजल, किराया और जलपान का बंदोबस्त किया। आचार संहिता भी लगी हुई है। इसके बावजूद शासन स्तर से बस का बंदोबस्त किया गया। इस मामले में तीन याचिकाएं कोर्ट में हैं। तीनों में सरकार से जवाब मांगा गया है।

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