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FATF की बैठक से पहले पाकिस्तान को बड़ा झटका, बढ़ा ब्‍लैक लिस्‍ट होने का खतरा

  • Writer: ab2 news
    ab2 news
  • Oct 12, 2020
  • 1 min read

इस्लामाबाद, पीटीआइ। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक से कुछ हफ्ते पहले ही पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका लगा है। यह देखते हुए कि मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा किए गए उपाय पर्याप्त नहीं हैं, एफएटीएफ की क्षेत्रीय इकाई ने पाकिस्‍तान को ‘Enhanced Follow-Up’ सूची में बनाए रखा है। 21-23 अक्टूबर को पेरिस स्थिक एफएटीएफ की बैठक होने वाली है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक एशिया-पैसिफिक ग्रुप (APG) ने पाया कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को खत्‍म करने के लिए FATF की ओर से दिए तकनीकी सुझावों को लागू करने में पाकिस्‍तान ने बहुत कम प्रगति की है। एपीजी ने कहा है कि पाकिस्‍तान ने FATF की ओर से की गई 40 सिफारिशों में से केवल दो पर प्रगति की है। इसको देखते हुए एपीजी ने घोषणा की है कि पाकिस्‍तान ‘Enhanced Follow-Up’लिस्‍ट में बना रहेगा। साथ ही पाकिस्‍तान को 40 सुझावों को लागू करने की दिशा में किए गए प्रयासों की रिपोर्ट देनी होगी।

पाकिस्तान को एफएटीएफ की निगरानी सूची यानी ग्रे लिस्ट में बनाए रखने पर इसी माह फैसला सामने आ जाएगा। पाकिस्तान जून, 2018 से निगरानी सूची में है। पेरिस स्थित अंतर-सरकारी संगठन एफएटीएफ ने पाकिस्तान को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर अंकुश पाने के लिए वर्ष 2019 तक एक योजना लागू करने को कहा था। महामारी के चलते यह समय सीमा बढ़ा दी गई थी। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान ने निगरानी सूची से निकलने के लिए गत अगस्त में मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद, जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर और अंडरव‌र्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम समेत 88 आतंकी संगठनों और इनके सरगनाओं को प्रतिबंधित कर दिया था। एफएटीएफ ने मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर अंकुश पाने के लिए इस्लामाबाद को 27 बिंदुओं पर काम करने का लक्ष्य दिया था, लेकिन इनमें से 13 पर वह खरा उतर नहीं पाया था। इसके बाद उसे गत फरवरी में चार माह का और वक्त दिया गया था। एफएटीएफ की निगरानी सूची यानी ग्रे लिस्ट में डाले जाने के चलते पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, व‌र्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से सहायता पान में दिक्कतों का सामना करना प़़ड रहा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान इन संस्थानों से वित्तीय मदद पाना चाहता है।

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