नई दिल्ली, आइएएनएस। पाकिस्तान में महंगाई सिर चढ़कर बोल रही है। गेहूं का दाम रिकॉर्डतोड़ स्तर पर 6,000 रुपये प्रति कुंतल अर्थात 60 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतों ने महंगाई और बढ़ा दी है। महंगाई और बढ़ने की अफवाह के बीच लोगों ने जमाखोरी शुरू कर दी है जिससे जरूरी चीजों की बाजार में कमी देखी जा रही है।
जीवनरक्षक दवाओं की कीमत काफी बढ़ी
पाकिस्तान के सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में महंगाई की दर 8.2 प्रतिशत और सितंबर में 9.0 प्रतिशत रही। बिजली परियोजनाओं पर कर्ज बढ़कर 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपये हो गया है। कोरोना संक्रमण काल में 94 जीवनरक्षक दवाओं की कीमत भी काफी बढ़ गई है। ठंडक का मौसम शुरू होने के साथ ही कुकिंग गैस की कमी महसूस की जाने लगी है। बढ़ती महंगाई की समस्या से निपटने की जगह पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की इमरान सरकार भारत पर निशाना साधने में लगी है।
मंत्री ठहरा रहे हर समस्या के लिए भारत को जिम्मेदार
बुधवार को जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयासों के बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री शिब्ली फराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, तो महंगाई से निपटने के उपायों पर बोलते-बोलते भारत पर जा पहुंचा और समस्याओं के लिए पड़ोसी देश को जिम्मेदार ठहराने लगे। फराज ने कहा, पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ब्लैक लिस्ट में डलवाने के लिए भारत हर संभव प्रयास कर रहा है। जिससे हमारी हालत लीबिया, इराक और अफगानिस्तान जैसी हो जाए। मंत्री ने कहा, भारत पाकिस्तान अराजकता, राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक तंगी के हालात पैदा करना चाहता है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी यही जुबान बोल रहे हैं। कुरैशी ने कहा, भारत पाकिस्तान को लेकर दुनिया के तमाम मंचों पर प्रतिदिन दुष्प्रचार करता है। जबकि रेल मंत्री शेख राशिद अहमद का भारत के खिलाफ राग हर जगह-हर समय जारी रहता है।
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