अमेरिका की फाइजर वैक्सीन के तीन ट्रायल हो चुके हैं और यह 95 फीसद तक कारगर साबित हुई है वहीं अमेरिकी मॉडर्ना वैक्सीन भी 94.5 फीसद प्रभावी साबित हुई है वहीं ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड वैक्सीन भी ट्रायल में काफी असरदार साबित हुई है।
दुनियाभर के तमाम देश इस वक्त कोरोना के कहर से गुजर रहे हैं। सभी देशों की सरकारें इस जानलेवा वायरस पर काबू पाने के लिए नित नए-नए कदम उठा रही हैं, लेकिन इसका स्थाई समाधान सिर्फ वैक्सीन ही है। इसी कारण सभी की निगाहें कोरोना वैक्सीन पर टिकी हैं। सभी देश इस दिशा में जोर-शोर से काम कर रही हैं। फिलहाल इस रेस में सबसे आगे अमेरिका नजर आ रहा है। अमेरिका की फाइजर वैक्सीन के तीन ट्रायल हो चुके हैं और यह 95 फीसद तक कारगर साबित हुई है। वहीं अमेरिकी मॉडर्ना वैक्सीन भी 94.5 फीसद प्रभावी साबित हुई है। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड वैक्सीन भी ट्रायल में काफी असरदार साबित हुई है। आइए आपको बताते हैं, कौन-से देश में वैक्सीन को लेकर कैसी चल रही तैयारी-
अमेरिका में अगले महीने लगेगा कोविड-19 का पहला टीका
कोरोना वायरस के खात्मे के लिए माने जाने वाली सबसे प्रभावी वैक्सीन फाइजर का टीका अगले महीने 11-12 दिसंबर को लगाया जा सकता है। अमेरिकी फार्मास्यूटिकल कंपनी फाइजर ने जर्मनी की बायोएनटेक के साथ मिलकर यह वैक्सीन तैयार की है। बता दें कि फाइजर द्वारा निर्मित वैक्सीन 95 फीसद तक असरदार है और यह पहली ऐसी वैक्सीन है जिसने थर्ड फेज के ट्रायल के नतीजे जारी किए हैं।
ट्रायल के अंतिम चरण में मॉडर्ना वैक्सीन
एक अन्य अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन के भी सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। यह वैक्सीन 94.5 फीसद तक असरदार पाई गई है। वैक्सीन अपने तीसरे दौर के ट्रायल में है। इसके स्टोरेज के लिए -20 डिग्री सेल्सियस के तापमान की कोल्ड चेन बनाए रखने की जरूरत होगी। भारत भी इस वैक्सीन के लिए मॉडर्ना कंपनी से संपर्क में है।
रूस में कोरोना की पहली वैक्सीन तैयार
11 अगस्त को कोरोना वैक्सीन तैयार करने में सबसे पहले रूस ने सफलता हासिल की थी। रूसी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक की पहली खेप तैयार की जा चुकी है और यह सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगाई जाएगी।
भारत भी वैक्सीन निर्माण की रेस में जुटा
कोरोना से प्रभावित देशों की लिस्ट में दुनियाभर में भारत दूसरे स्थान पर है, जिसे लेकर देश में काफी सतर्कता बरती जा रही है। इस बीच भारत भी कोरोना वैक्सीन बनाने की रेस में शामिल है। बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और कुछ अन्य संस्थान ऐसी वैक्सीन का निर्माण करने में जुटे हैं जिसे 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सके। हर्षवर्धन ने कहा, 'हम अपने स्वदेशी टीके को विकसित करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं। हम अगले एक-दो महीनों में तीसरे चरण के परीक्षण को पूरा करने की प्रक्रिया में है।'
अंतिम-चरण में भारत की को-वैक्सीन
भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा तैयार की गई को-वैक्सीन अंतिम चरण में है, जो 60 फीसद तक असरदार है। उम्मीद है कि 2021 तक को-वैक्सीन देशवसियों को मुहैया करा दी जाएगी। यह टीका 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाया जाएगा।
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