नई दिल्ली, पीटीआइ। सहारा ग्रुप ने अपनी चार सहयोगी सहकारी ऋण समितियों से जुड़े 10 लाख से अधिक सदस्यों को पिछले 75 दिन में 3,226 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। ग्रुप ने सोमवार को यह जानकारी दी। सहारा ग्रुप ने रकम के भुगतान में देरी का कारण बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आठ साल तक भुगतान पर रोक लगा रखी थी, जबकि उसकी दो ग्रुप कंपनियों के बॉन्डधारकों को लौटाने के लिये मय ब्याज करीब 22,000 करोड़ रुपये की राशि सहारा-सेबी अकाउंट में जमा की गई है। सहारा ग्रुप ने एक बयान जारी कर कहा कि सेबी ने बार-बार प्रयास किये जाने के बाद भी पिछले आठ साल में केवल 106.10 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान बॉन्डधारकों को किया है। सहारा ग्रुप का ने कहा कि इस बात से पता चलता है कि भुगतान के लिए कोई भी दावेदार शेष नहीं है, क्योंकि सेबी द्वारा सहारा ग्रुप को धन उसके पास जमा करने के लिये कहने से पूर्व ही साहारा ग्रुप अधिकतमर बॉन्डधारकों को उनका पैसा वापस कर चुका था। ग्रुप को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, आवश्यक जांच के बाद 22,000 करोड़ रुपये की रकम उसके पास वापस लौट आएगी। ग्रुप ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, सहकारी समितियों समेत ग्रुप की या उसके संयुक्त उद्यमों से जुड़ी किसी भी संपत्ति की बिक्री अथवा उसे रहन पर रखने से जो भी रकम मिलेगी उसे सहारा-सेबी खाते में जमा कराना होगा।’ग्रुप ने कहा है, ‘हमने पिछले 10 वर्ष में अपने 5,76,77,339 निवेशकों को 1,40,157.51 करोड़ रुपये की रकम का परिपक्वता भुगतान किया है। इसमें से सिर्फ 40 फीसद मामलों ही निवेश को फिर से निवेश करने के रहे हैं, बाकी को नकद भुगतान किया गया।’ग्रुप ने आगे बयान में चिट फंड से जुड़ी खबरों का खंडन करते हुए कहा, ‘सहारा ग्रुप कभी भी चिटफंड के व्यवसाय में नहीं रहा है, ग्रुप ना ही पहले इस कारोबार में था और ना अब है। ग्रुप ने हमेशा से ही नियामकीय कानूनी ढांचे के भीतर रहते हुये कार्य किये है।’
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