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Sex Education In Hindi – कैसे दें अपने बच्चों को यौन शिक्षा ?


यौन शिक्षा (sex education in hindi) एक ऐसा विषय है जिसके बारे में बात करना आज भी कई लोगों को नापसंद है | परन्तु अब वो ज़माना नहीं रहा जब बच्चे यौन संबंध के बारे में सोचने से भी कतराते हैं और उनके माँ-बाप उन्हें ये सब चीज़ें सोचने से रोक भी सकते थे | आज-कल के ब

च्चे यौन – संबंधी चीज़ों के बारे में काफी जिज्ञासा रखते है और उनसे संबंधित सवाल पूछने से डरते नहीं | “आज भी भारत में ऐसे कई लोग है जिनको यौन शिक्षा (sex education in hindi) के महत्त्व का ज़रा भी एहसास नहीं है | यह लोग बिलकुल नहीं समझते कि अगर आप यौन-शिक्षा (sex education in hindi) के बारे में बात ना भी करे तब भी बढ़ते बच्चों के मन में इससे संबंधित विचार आना स्वाभाविक है | खास तौड़ पर अब जब बच्चें अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त इंटरनेट पे बिताते है जहाँ यौन सम्बंधित चीज़ें आसानी से मिल जाती है |” ऐसा कहती है डॉ. अनीता सभरवाल, सीताराम भरतिया की कंसलटेंट gynecologist और obstetrician |

क्यों है यौन शिक्षा (sex education in hindi) बच्चों के लिए महत्वपूर्ण ?

काफ़ी लोगों का मानना है कि यौन शिक्षा (sex education in hindi) का मतलब है सिर्फ यौन-क्रिया के बारे में बात करना पर यह सच नहीं है |


यौन शिक्षा (sex education in hindi) एक ऐसी क्रिया है जिससे हम बढ़ते बच्चों को यौन संबंधके बारे में विस्तार से जानकारी देते है ताकि वो यौन क्रिया, करीबी रिश्तें और अपनी यौन पहचान के बारे में एक नज़रिया रख सके |यह क्रिया हमें बच्चों में एक समझ उत्पन्न करने में भी मदद करता है जिससे वो यौन संबंधित एहम फैसले लेने के काबिल हो जाते है |


डॉ. अनीता का कहना है – “यौन शिक्षा बच्चों को प्यूबर्टी के समय होने वाले शारीरिक बदलावों से भी रूबरू करवाता है जिससे उन्हें प्यूबर्टी को स्वीकारने में मदद मिल जाती है | और तो और इस शिक्षा के द्वारा हम बच्चों को यह समझा सकते है कि जीवन में सुरक्षित और स्वस्थ फैसले लेना एक स्वस्थ सेक्स लाइफ के लिए कितना महत्वपूर्ण है |” यौन सम्बंधित जानकारी प्राप्त करके बच्चे अपने ऊपर होने वाले शारीरिक शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा पाते है | उनमें यह समझ स्थापित हो जाती है कि प्रजनन की सही उम्र क्या होती है, सम्भोग के वक़्त प्रोटेक्शन लेना कितना आवश्यक होता है और शादी के पहले माँ – बाप बनना कितना हानिकारक हो सकता है |

कैसे करे अपने बच्चों से यौन क्रिया की बात ?

“बहुत से माँ-बाप को लगता है कि यौन शिक्षा (sex education in hindi) एक बार में निपटाने वाली चर्चा है जिसमें उनको अपने बच्चों को सिर्फ सम्भोग की क्रिया के बारे और प्यूबर्टी के बारे में बताना होता है | परन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है |” यौन शिक्षा देने की प्रक्रिया आसान हो जाती है जब हम उसे एक निरंतर क्रिया के रूप में देखते है और रोज़ – मर्रा की ज़िन्दगी के कुछ पलों में इसकी चर्चा करते है | “उदहारण के लिए, जब कभी टीवी देखते वक़्त सैनिटरी नैपकिन का विज्ञापन आए तो उस मौके पर आप अपने बच्चे से प्यूबर्टी और मासिक धर्म के बारे में बात कर सकते है |” ऐसा सुझाव है डॉ. अनीता का |


अपने बच्चे से सिर्फ सच्ची बात करें

यौन सम्बंधित हर विषय के बारे में अपने बच्चे से खुल के बात करें और सिर्फ सच्ची जानकारी दें | अगर आपको यौन क्रिया के बारे में बात करने में संकोच और बेचैनी होती है तो वो भी अपने बच्चे के साथ बाँटिये और मिल कर इसका उपाय निकालिए | अगर आपको उनके पूछे हुए किसी सवाल का जवाब ना आता हो तो मनघड़ंत कहानियाँ बनाने की बजाय उनके साथ मिल कर सही जवाब ढूंढिए| परन्तु उन्हें एहसास दिलाइएं की इस बारे में बातचीत करना कितना ज़रूरी है |


अपने बच्चे को समझने की कोशिश करें

युवावस्था का समय एक बच्चे के लिए बड़ा ही उत्तेजना पूर्वक होता है | वो बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुज़रते है जिसका सामना करना उनके लिए मुश्किल होजाता है | माँ-बाप होने के नाते आपका फ़र्ज़ बनता है कि प्यूबर्टी के दौरान आप अपने बच्चे की भावनाओं को समझे और उन्हें सांत्वना दे | उन्हीं ये बताने से परहेज़ करें की इन सब चीज़ों के बारे में बात करना बुरा माना जाता है | इस तरह आप उन्हें यौन सम्बंधित बात करने से केवल हतोत्साह करेंगे जिससे वो दूसरी जगह से जवाब ढूंढ़ने में मजबूर हो जायेंगे |


अपने बच्चो को सवाल पूछने के लिए उत्साहित करें

आज-कल के युवा बच्चे सहपाठियों के दबाव में आके कई चीज़ें करने पर मजबूर हो जाते है जिससे उन्हें काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है | ऐसे समय में आपका साथ उनके लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है | अपने बच्चे को भरोसा दिलाएं के आप उनके साथ खड़े है और उन्हें उत्साहित करें कि वो अपनी परेशानियाँ आपके साथ बाटें | इस तरह आप उनका सही मार्गदर्शन कर पाएंगे |


अपने बच्चे की यौन संबंधित विचारों को समझें

यौन शिक्षा (sex education in hindi) केवल सम्भोग के बारे में समझाना ही नहीं होता | इस क्रिया के माध्यम से ज़रूरी है की हम अपने बच्चों में यौन की ओर एक सही रवैया बनाएं | “मैं हर माँ-बाप को कहती हूँ कि वह जानें की उनके बच्चे यौन संबंध के बारे में क्या विचार रखते है | एहम है कि हम उन्हें यौन संबंध रखने के पीछे महसूस किये गए भावनाओं से परिचित करवाएँ और उसकी मूल्यता समझाए ”


नाज़ुक विषयों के बारे में ध्यान से चर्चा करें

यौन शिक्षा का एक कर्त्तव्य है – बच्चों में यौन की ओर एक सही भावना पैदा करना ताकि वो बड़े होकर खुले vichar rakhein और सबकी इज़्ज़त करें | इसीलिए ज़रूरी है कि माँ-बाप समलैंगिकता (homosexuality) और यौन शोषण जैसे विषयों के बारे में ध्यान से बात करें | और कोशिश करें कि आप यौन सम्बंधित किसी भी चीज़ के बारे में कोई ख़राब बात न कहें जिससे उन्हें यह ग़लतफहमी हो की इन चीज़ों के बारे में बात करना गलत है |


विद्यालयों में यौन शिक्षा (sex education in hindi) का महत्त्व

प्यूबर्टी का जल्दी आना और इंटरनेट पर कई यौन संबंधित चीज़ों का मिलना यह ज़रूरी कर देता है कि हम बच्चों को यौन शिक्षा कम उम्र से देने लगें | कई विद्यालय यौन शोषण और उससे बचने के बारे में बताना दो और तीन कक्षा से शुरू करना पसंद करते है ताकि छोटे बच्चों को यह मालूम हो कि यौन शोषण का क्या मतलब होता है और कब उन्हें उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए | विस्तार में यौन शिक्षा का अध्ययन सातवीं से नौवीं कक्षा के बीच में होनी चाहिए जब ज़्यादातर बच्चे प्यूबर्टी के पड़ाव तक पहुँच जाते है | भारत में यौन शिक्षा अभी भी एक कम प्रचलित विषय हो सकती है परन्तु इसके महत्त्व को कभी झुक्लाया नहीं जा सकता | सही यौन जानकारी ना सिर्फ़ युवा बच्चों को समर्थ बनती है बल्कि यह भी ध्यान में रखती है की बच्चे अपने जीवन में हमेशा सही फैसले लें, क्या आपके मन में यौन शिक्षा से सम्बंधित सवाल हैं ? हमारे हॉस्पिटल आएं और अपने इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें। मुफ्त परामर्श के लिए हमें +91 9871001458 कॉल करें। डॉ अनीता सभरवाल – जो करीबन 20 सालो से General और High-Risk Obstetrics में दिलचस्पी रख रही हैं – ने इस लेख के बनने में अपना सहयोग दिया है|

यौन अंग, शरीर के वह अंग होते हैं, जो किसी जीव की प्रजनन प्रकिया में सम्मिलित होने के साथ साथ उसके प्रजनन तंत्र का रचना भी करते हैं। स्तनधारियों के प्रमुख यौन अंग हैं: -


मादा

बार्थोलिन की ग्रंथियां, ग्रीवा, भगशेफ, फैलोपियन नलिकायें, भगोष्ठ, अंडाशय स्कीन की ग्रंथि, गर्भाशय, योनि, भग

नर

बल्बोयूरेथ्रल ग्रंथियां, अधिवृषण, शिश्न, अग्रत्वचा, शिश्नमुंड, पुर:स्थ, अंडकोष, शुक्र वाहिका, वृषण

 

Animal sex

प्राणियों में जनन की विधियाँ दो कोटि में बाँटी जा सकती हैं एक अलैंगिक और दूसरी लैंगिक। इनमें भेद यह है कि अलैंगिक विधि से जनन के लिए केवल एक ही जनक की आवश्यकता होती है और जनककोशिका तथा संतानकोशिका का विभाजन समसूत्रण (Mitosis) से ही होता है। लैंगिक जनन के लिए दो जनकों की आवश्यकता होती है और इसमें समसूत्रण के अतिरिक्त अर्धसूत्रण और निषेचन की क्रियाएँ होती हैं। निम्न श्रेणी के प्राणियों का जनन अलैंगिक और लैंगिक दोनों विधियों से होता है, पर उच्च श्रेणी के प्राणियों का जनन केवल लैंगिक विधि से ही होता है।

अलैंगिक जनन

यह जनन पिंड के दो या दो से अधिक सम भागों में विभाजन से होता है। इस विभाजन का विखंडन (Fission) कहते हैं। यह विखंडन द्विविखंडन (Binary fission), बहुविखंडन (Multiple fission) या बीजाणुकरण (Sporulation) का रूप ले सकता है। द्विविखंडन का उदाहरण अमीबा (Amoeba) में मिलता है। समुद्भवन से भी जनन होता है। स्पंज, सीलेंटरेटा (Coelenterata) और ब्राइओजोआ (Bryozoa) में प्रवर्धन या कालिकाओं के रूप में जनन होता है। कुछ प्राणियों में पुनरुत्पादन (Regeneration) की शक्ति होती है। यदि उनके शरीर का कोई भाग क्षतिग्रस्त हो जाए या कट जाए तो उसका फिर निर्माण हो जाता है। यह बात हाइड्रा और केंचुए में देखी जाती है। यह शक्ति उच्च श्रेणी के जंतुओं में क्रमश: कम होती जाती है। स्तनियों में सबसे कम होती है और मनुष्य में केवल घावों के भरने तक ही सीमित रह जाती है। पुनरुत्पादन का एक दूसरा रूप खंडों में बढ़ना है या संविभाजन (fragmentation) है। प्लैनेरियनों (Planarians) के टुकड़े हो जाने पर प्रत्येक टुकड़ा अलग प्राणी बन जाता है। कुछ प्राणियों में जेम्यूलों (Gemmules) का निर्माण होता है। उत्पादक कोशिकाएँ गेंद के रूप में इकट्ठी हो जाती है, तथा उनके चारों तरफ कंटिकाओं (Spirules) की भित्ति बन जाती है, जिसे जेम्यूल कहते हैं। यहाँ जनक की मृत्यु हो जाती हैं, पर जेम्यूल जीते रहते हैं और अनुकूल मौसम आने पर पूर्ण स्पंज के रूप में विकसित हो जाते हैं। कुछ प्राणी स्टैटोब्लास्ट (Statoblast) का निर्माण करते हैं। यह मंडलाकार अवरोध्क रचना होती है, जो प्रतिकूल स्थिति के हट जाने पर नए मंडल में अंकुरित हो जाती है।

लैंगिक जनन

प्राणियों में लैंगिक जनन की कई विधियाँ हैं, जिनमें प्रमुख विधियाँ हैं-

  • (1) सामान्य लैंगिक जनन,

  • (2) उभयलिंगी (Hermaphroditic) जनन,

  • (3) असेचन जनन (Parthenogenesis) और

  • (4) डिंभजनन (Paedogenesis)

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