हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सकारात्मक माहौल होने के बावजूद पार्टी हाईकमान प्रत्याशी चयन में पूरी सतर्कता बरतना चाहता है। हरियाणा चुनाव समिति में तैयार किए गए पार्टी प्रत्याशियों के पैनल राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संतुष्ट नहीं हुए। यह पैनल उनकी कसौटी पर खरे नहीं उतरे और उन्होंने सीएम सहित प्रदेश पदाधिकारियों को होमवर्क देते हुए एक बार फिर बैठक करने का आदेश दिया।
नाराज शाह ने एक घंटे में खत्म की पहले चरण की बैठक, होमवर्क के साथ फिर हुई बैठक
बुधवार को दिन में हुई बैठक महज दो घंटे में खत्म हो गई। इस बैठक से निकले पदाधिकारियों के चेहरे साफ बता रहे थे कि पार्टी हाईकमान प्रत्याशियों के चयन में अपनाई गई प्रक्रिया से ज्यादा खुश नहीं था। दोपहर की बैठक में शाह से मिले होमवर्क के आधार पर एक बार फिर पैनल तैयार करके प्रदेश पदाधिकारी सायं सात बजे पार्टी मुख्यालय पहुंचे। यहां यह बैठक करीब 7.30 बजे शुरू हो गई। दोनों बैठकों में अमित शाह के अलावा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव डॉ.अनिल जैन, चुनाव प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर, सहप्रभारी भूपेंद्र सिंह, प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला, प्रदेश संगठन मंत्री सुरेश भट्ट मौजूद रहे।सूत्र बताते हैं कि बैठक में शाह ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों के परिजनों से लेकर मेयर, जिला परिषद चेयरमैन और उनके परिजनों को भी टिकट नहीं दी जाएगी। हालांकि शाह ने यह भी साफ किया कि प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में टिकट चयन करते समय संबंधित सांसदों की संस्तुति का ध्यान भी प्रमुखता से रखा जाए। सांसदों की संस्तुति चुनाव समिति ने पहले भी ली हुई है मगर पार्टी हाईकमान के इस आदेश के बाद कि किसी नेता के परिजन को टिकट नहीं दी जाएगी, प्रत्याशियों के पैनलों के समीकरण बदल गए हैं।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने दिन की बैठक खत्म होने पर यह भी बताया था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ सभी 90 सीटों पर चर्चा पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद जब भी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी, प्रत्याशियों की सूची का अनुमोदन किया जाएगा। इसके बाद संभवतया उसी दिन इसकी घोषणा कर दी जाएगी।
सूत्र यह भी बताते हैं कि प्रदेश चुनाव समिति द्वारा तैयार किए गए पैनल में प्रत्याशियों के चयन पूर्व निर्धारित मापदंड के अनुपालन में हुई चूक पर भी प्रदेश के नेताओं को दोबारा मशक्कत करनी पड़ रही है। पार्टी के पूर्व कार्यकर्ताओं और पार्टी के प्रति उनके समर्पण पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट मिलने की संभावना बढ़ गई है।
इसके अलावा दूसरे दलों से आए नेताओं की चुनाव जिताऊ क्षमता पर भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का ध्यान है। उन सीटों पर जिन पर दूसरे दलों से आए नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, वहां पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता यदि पार्टी सर्वे में अव्वल हैं तो फिर उन्हें ही तरजीह दी जाएगी।
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