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अर्नब गोस्वामी को फिलहाल अंतरिम राहत नहीं, उनकी याचिका पर कल सुनवाई करेगा बॉम्बे हाई कोर्ट

  1. बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टली

  2. अर्नब को अंतरिम राहत पर भी सुनवाई होगी

  3. अर्नब के वकील बोले, नई जांच शुरू करना तय सिद्धांतों के खिलाफ

मुंंबई: 

अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) की अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टल गई है. मामले की सुनवाई कल 3 बजे होगी. हाईकोर्ट ने ने साफ किया कल अर्नब गोस्वामी को अंतरिम राहत पर भी सुनवाई होगी. इससे पहले, सुनवाई के दौरान अर्नब गोस्‍वामी के वकील आबाद पोंडा ने कहा कि मामला फिर से खोलने के बाद नई जांच शुरू करना आपराधिक कानून के तय सिद्धांतों के विपरीत है, उन्‍होंने अपने मुवक्किल के लिए अंतरिम राहत के लिए मांग की. अर्नब के वकील ने कहा, मामले में 2019 में पुलिस द्वारा दायर ‘ए’ समरी को मजिस्ट्रेट ने स्वीकार कर लिया था और वो  बरकरार है, जिसे चुनौती नहीं दी गई है. इस पर जस्टिस शिंदे ने कहा कि अन्य महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं. कल छुट्टियों से पहले आखिरी दिन है.हम ये स्पष्ट कर रहे हैं कि हम गहराई से जांच करने के लिए तैयार हैं. साथ ही, हमें प्रतिवादी (Respondent) को जवाब देने का अवसर देना होगा.

अर्नब के वकील आबाद पोंडा ने कहा, एक नागरिक को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है. यहां तक ​​कि एक सेकंड के लिए किसी की अवैध हिरासत को संवैधानिक अदालत द्वारा  नहीं माना जा सकता है.अंतरिम राहत मिलनी चाहिए.उन्‍होंने कहा कि ‘ए समरी’ ताबूत में एक कील की तरह है, जिसे उपयुक्त क्रम से निकालना पड़ता है. पुलिस की दोबारा जांचसे पता चलता है कि मजिस्ट्रेट के लिए असम्मान दर्शाया गया है. पुलिस ने मामले को फिर से खोलने के बारे में 15 अक्टूबर 2020 को मजिस्ट्रेट को केवल सूचना दी. अदालत ने उन्हें अनुमति नहीं दी है.यह “देखा और दायर” रिकॉर्ड करता है. कोई अनुमति नहीं थी.आगे की जांच के लिए कोई संकेत नही है.

पोंडा ने कहा कि सवाल उठता है कि “ए” समरी आज भी बना हुआ है या नहीं. यदि यह बना रहता है, तो मामला ‘मृत’ है. पुलिस इसे फिर से जीवित नहीं कर सकती है. इस पर जस्टिस शिंदे ने कहा कि मूल शिकायतकर्ता की याचिका आज भी सूचीबद्ध है. उस पर भी सुनवाई की जरूरत है. अर्नब के वकील ने कहा कि अलीबाग मजिस्ट्रेट ने अभी जमानत अर्जी के लिए तारीख नहीं दी. इसलिए हमने आज दोपहर 1.30 बजे अपनी जमानत की अर्जी वापस ले ली.न्यायिक आदेश के बिना, आगे की जांच नहीं की जा सकती थी. इसलिए गिरफ्तारी अवैध है.जस्टिस शिंदे ने मामले में कहा कि याचिका के लिए शिकायकर्ता एक आवश्यक पार्टी है, लेकिन आपकी याचिका में मुखबिर को पार्टी नहीं बनाया गया है. इस पर पोंडा ने कहा, ‘मैं सीमित राहत के लिये आया हूँ.मेरी याचिका केवल पुलिस के खिलाफ है न कि शिकायतकर्ता (नाइक परिवार) के खिलाफ. हरीश साल्वे ने कहा कि कृपया हमें याचिका में संशोधन करने और शिकायतकर्ता को याचिका में जोड़ने का अवसर दें.हमें मौखिक अवकाश दें.शिकायतकर्ता यहाँ है. वो खुद भी सुन सकते हैं. इसके बाद अदालत ने याचिका में शिकायतकर्ता को पार्टी बनाने के लिए संशोधन की अनुमति दी और मामले की सुनवाई कल के लिए टाल दी.

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