इस साल विधानसभा चुनाव के दौरान इंटरनेट मीडिया पर आचार संहिता की धज्जियां उड़ रही हैं। यहां आरोप-प्रत्यारोप से लेकर चुनाव प्रचार तक का दौर जारी है। लेकिन, प्रशासनिक स्तर पर इंटरनेट मीडिया पर नकेल कसने की दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकी है। हद तो यह कि कई प्रत्याशी इंटरनेट मीडिया पर हो रहे प्रचार का हिसाब भी देने से बच रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, इंटरनेट साइट पर आचार संहिता के अनुपालन को लेकर आयोग के निर्देश के बाद प्रशासन ने अलग से मीडिया सर्टिफिकेशन एण्ड मॉनीटरिंग कमेटी का गठन किया है। जिसका मुख्य कार्य इंटरनेट मीडिया पर आचार संहिता व चुनाव को प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर पैनी निगाह रखना है। लेकिन, आयोग के तमाम दिशा निर्देशों के बावजूद इंटरनेट मीडिया पर चुनाव आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आए दिन आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। इतना ही नहीं इंटरनेट मीडिया पर भिड़ंत के बीच पक्षकार गाली-गलौज व व्यक्तिगत आरोप लगाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। इतना ही नहीं यू-ट्यूब व फेसबुक के माध्यम से कई प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार भी जारी है। लेकिन, इस ओर प्रशासन की नजर नहीं है। प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा आज व्हाट्सएप और फेसबुक का इस्तेमाल प्रचार के रूप में धड़ल्ले से कर रहे हैं। चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही जाति-धर्म, राजनीति आधारित पोस्टों की इंटरनेट मीडिया पर बाढ़ आ गई है। जो चुनाव आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की श्रेणी में आता है। हालांकि इस मामले में पूछे जाने पर उप निर्वाचन पदाधिकारी दिनेश लाल दास ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति की आईडी पर उसकी बगैर अनुमति के कोई पोस्ट भेजी जाती है, जिसे संबंधित स्वीकार नहीं करना चाहता तो उसकी शिकायत पर पोस्ट भेजने वाले के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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