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महाराष्ट्र में मंदिर न खोलने पर राजनीति:राज्यपाल की उद्धव को चिट्ठी- आपको दैवीय आदेश मिला या अचानक स

महाराष्ट्र में कोरोना के कारण पिछले 6 महीने से बंद मंदिरों को लेकर अब राजनीति तेज हो गई है। मंगलवार को इस मुद्दे पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आमने-सामने आ गए। सबसे पहले कोश्यारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। अपनी चिट्ठी में राज्यपाल ने कहा कि यह विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार और रेस्त्रां खोल दिए हैं, लेकिन मंदिर नहीं खोले गए। ऐसा न करने के लिए आपको दैवीय आदेश मिला या अचानक से सेक्युलर हो गए।

राज्यपाल के इस पत्र पर उद्धव ने भी पलटवार किया। उन्होंने लिखा- जैसे तुरंत लॉकडाउन लगाना ठीक नहीं था, वैसे ही तुरंत ही इसे हटाना ठीक नहीं है। और हां, मैं हिंदुत्व को मानता हूं। मुझे आपसे हिंदुत्व के लिए सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।

राज्यपाल का पत्र

सीएम ठाकरे का पलटवार

उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल के इस जवाब में लिखा है कि महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल खोलने की चर्चा के साथ कोरोना के बढ़ते मामलों का भी ध्यान रखना चाहिए। जो लोग हमारे राज्य की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) से करते हैं, उनका स्वागत करना मेरे हिंदुत्व में फिट नहीं बैठता। सिर्फ मंदिर खोलने से ही क्या हिंदुत्व साबित होगा?

हिंदुत्व हमारी आत्मा, कभी नहीं छोड़ेंगे’

मंदिर मुद्दे पर उद्धव से मातोश्री पर मिलने पहुंचे शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, ‘शिवसेना ने न कभी हिंदुत्व को नकारा है और न ही कभी भुलाया। हिंदुत्व शिवसेना के प्राण और आत्मा है। शिवसेना इसे कभी नहीं छोड़ सकती। जो लोग इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें आत्मनिर्भर होकर आत्ममंथन करना चाहिए। क्या वे लोग हिंदुत्व का पालन कर रहे हैं? उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में यह जो सरकार है, संविधान का पालन करके चल रही है। अगर हम संविधान का पालन कर रहे हैं तो यह किसी को अच्छा नहीं लग रहा। अगर आप मंदिर की तुलना बार खोले जाने से कर रहे हैं, तो ये गलत है।’

भाजपा का प्रदर्शन

राज्यभर के मंदिरों को खोलने के फैसले में सरकार द्वारा की जा रही देरी को लेकर महाराष्ट्र भर के धार्मिक नेता और श्रद्धालुओं ने शिवसेना की अगुवाई वाली महाविकास समिति (MVA) सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कुछ घंटों के लिए आज उपवास रखने का निर्णय लिया है।

पार्टी की तरफ से यह भी कहा गया, ‘उद्धव सरकार ने बार और रेस्त्रां को शुरू करने की अनुमति दी है, लेकिन मंदिरों को फिर से खोलने का निर्णय नहीं ले रही है। जबकि लाखों लोग चाहते हैं कि मंदिर खुलें। हमारे कार्यकर्ता मंदिरों को खुलवाने के लिए उपवास करेंगे।’

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